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तुम मेरे पास नहीं थे तो
कभी कुछ कहने केलिये
मैं तेरे पास नहीं थी
कभी कुछ में ही
सब कुछ कहकर
चुप रही में तो
कभी सब समझकर भी
अन्जान बने रहे तुम भी
यह कैसी पहेली है?! जो
हर दिन हर पल उलझरही है!
हर वक्त यही प्रश्न उठे मन में.... जो
चुपकर चुभरही है बनकर एक नासूर!
-तेजस्विनि