जिंदगी की कुछ मुस्कुराहटें
बितायी थीं वह हसीन पलें,
आखों की नमी जो हंस हंस कर
छलकती थी पलकों के तले...
सब कहाँ खो गये?! गुमशुदा ही होगयें
अब तो सिर्फ उन यादॊं पे दिल आहटें भरे!
वक्त होता है बे रहम यह हमें मालूम तो था
वक्त बे वक्त यह निकम्मे यादॊं को आना ही ना था
देखो तुम, हम तो खडे हैं ऐसी तट पर
जिस के नीचे बहता पानी से हमरा चहरा झलकता था
शायद वह पानी अब थम सा गया है....
गहरा हरा रंग, नजर दुंधली कर दे रहा है.....
तस्वीर सी यह हमारी जिंदगी कहीं तकदीर न बने !
हमें तकदीर का मारा ना समझॊ अभी उम्र बाकी है मरने के लिये॥
-तेजस्विनी