Thursday, March 5, 2009

सपना

एक हसीन शाम थी
जब हमने याद किया
आपको, आपके यादों को
निशा कि नशे की तरह...
होठों पे खीली ती मुस्कान तब
एक कली की तरह

दिशा दिशा में बिखरी हुई थी
साँझ के हसीन किरणें
तारों के साथ हँसरहा था
चाँद बी नीले गगन में


खुलगये हमरे आँखें तो
चुभगयी सूरज की किरणें
न वह शाम था, न वह तारें थी
न आप थे पास, न वह हकीकत थी!!!!