पंचमि
Monday, December 27, 2010
झलख़
Courtesy - Google.
खुदा से ही बेवफायी कर बैठे हम,
न चाहते हुए भी तुझसे ही मोहब्बत
कर बैठे सनम!
दिल देना चाहा किसी ओर को
मगर, जान लुटाने लगे तुझपे ही
मेरे हमदम
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दिल कहता है,
नसीब हो तुम मेरे?
मन समझाता है....
तू नसीब है किसी और का!
-तेजस्विनी
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