Saturday, July 26, 2008

कविता

हमें न मालूम था

हमें न मालूम था
यादों को हम भूलकर भी
नहीं मिटा सकते
जब भी भूलना चाहा तो
वह एक भूल हो गयी
हमारे जीवन का एक ओर
हकीकत बन गयी

हमें न मालूम था

हँसाना
इतना आसान है

जितना हाँसना मुश्किल
सबको करार बाँटते हुए
खुद ही बेकरार हो गये हम
कुछ पाने की चाहत में
सब कुछ खो दिये हम

हमें न मालूम था
जिन्दगी एक अलग चीज है
जिन्दा रहना अलग बात है
जीतने चले थे सबके दिल को
मगर हार आये खुद हम
अपने ही जिन्दगी को..!!!

2 comments:

Unknown said...

एक और षट्कार मार दिया है आपने - जिंदगी के सब पहलू बहुत अच्छी तरह से सूक्ष्म तरह से प्रस्तुत किया है

हकीकन - या हकीकत?

हाँसाना = हंसाना (ಹ ದೀರ್ಘ ಆಗಿದೆ - ಹ್ರಸ್ವ ಆಗ್ಬೇಕಿತ್ತು ಅನ್ಸತ್ತೆ - ಬರಹದಲ್ಲಿ ಚಂದ್ರಬಿಂದು ಹೇಗೆ ಹಾಕಿದ್ರಿ? )

भगवान भला करें

गुरुदॆव दया करो दीन जने

तेजस्विनी said...

तिरुका जी,

आपके प्रोत्साह भरी प्रतिक्रिया केलिये बहुत धन्यवाद. बहुत शुक्रिया गलितियों को सुधारने केलिये. टीक करदियागया है. अर्ध चंद्र को ऐसे लिखते हैं..

h~Msaanaa

ತಪ್ಪುಗಳನ್ನು ಹೀಗೇ ತಿದ್ದ ಬೇಕಾಗಿ ವಿನಮ್ರ ವಿನಂತಿ. ನನ್ನ ಹಿಂದಿಯ ಭಾಷಾ ಜ್ಞಾನದ ಸುಧಾರಣೆಗೆ ಇದು ತುಂಬಾ ಸಹಾಯವಾಗುವುದು. ಧನ್ಯವಾದಗಳು.