Copyright : Tejaswini hegde |
वो काजल से ही तेरी नज़र उतारुँ मैं
मुस्कुराहट जो छुपाये वो मेरे गम
तेरे पास आनेसे पेहेले हवामे गुल होजाये
और क्या दूँ चंद नगमोँ के सिवा.....!
साथि तेरा साथ सात जन्मॊँका है
जानती हूँ मैं ये जानता है जंहाँ
लेकिन वक़्त-बेवक़्त के जेहर से बचकर
पार करना है हमें सौ साल, सदियाँ
और क्या दूँ चंद नगमोँ के सिवा.....!
हम ये जानते हैं कि ये हमारी दुनिया
मुक्तसर नहीं जैसे खिले हैं फूल बगिया
तुम अगर साथ हो तो क्या परवा कल की
डोलते हुये नय्या को सहारा है तू सँय्या
और क्या दूँ चंद नगमोँ के सिवा.....!
-तॆजस्विनी