क्यों? कभी तनहा करदे मुझे मेरे यादों में कभी खुशियँ भरदे मेरे सूनी राहों मेंहवा के झॊंके आये कभी बिजली के साथ पवन कभी ठंडक लाये खुशबू के हाथ
क्यों आती हैं बहारें?
जैसे आके भी न आये हाथ!!
क्यों मिलते हैं लोग ऎसे?
मिलके बिछ्डने के बाद!!
छोटी सी आशा
बारिश के बूदें बनकर बरसूँ भरदूँ सब नदियाँ, सागर सारी गरमी सिमटके अन्दर सबको देदूँ शीतलता का चादरहवा में घूमूँ खुशबू बनकर सबके मनको करदूँ मोहित पत्ता, बूटा खिले हरतरफ हर दिन हर पल हँसे बसंतअगर साँस कभी रुक जाए तो कोई गिला न हो मन में, मिटेगा बस तन, नहीं यह जीवनयही आस है इस दिल में ।