Sunday, May 11, 2008

?


क्यों?

कभी तनहा करदे मुझे
मेरे यादों में
कभी खुशियँ भरदे
मेरे सूनी राहों में

हवा के झॊंके आये कभी
बिजली के साथ
पवन कभी ठंडक लाये
खुशबू के हाथ

क्यों आती हैं बहारें?
जैसे आके भी न आये हाथ!!
क्यों मिलते हैं लोग ऎसे?
मिलके बिछ्डने के बाद!!



आशा


छोटी सी आशा

बारिश के बूदें बनकर
बरसूँ भरदूँ सब नदियाँ, सागर
सारी गरमी सिमटके अन्दर
सबको देदूँ शीतलता का चादर

हवा में घूमूँ खुशबू बनकर
सबके मनको करदूँ मोहित
पत्ता, बूटा खिले हरतरफ
हर दिन हर पल हँसे बसंत

अगर साँस कभी रुक जाए
तो कोई गिला न हो मन में,
मिटेगा बस तन, नहीं यह जीवन
यही आस है इस दिल में ।