जिंदगी की कुछ मुस्कुराहटें
बितायी थीं वह हसीन पलें,
आखों की नमी जो हंस हंस कर
छलकती थी पलकों के तले...
सब कहाँ खो गये?! गुमशुदा ही होगयें
अब तो सिर्फ उन यादॊं पे दिल आहटें भरे!
वक्त होता है बे रहम यह हमें मालूम तो था
वक्त बे वक्त यह निकम्मे यादॊं को आना ही ना था
देखो तुम, हम तो खडे हैं ऐसी तट पर
जिस के नीचे बहता पानी से हमरा चहरा झलकता था
शायद वह पानी अब थम सा गया है....
गहरा हरा रंग, नजर दुंधली कर दे रहा है.....
तस्वीर सी यह हमारी जिंदगी कहीं तकदीर न बने !
हमें तकदीर का मारा ना समझॊ अभी उम्र बाकी है मरने के लिये॥
-तेजस्विनी
पंचमि
Thursday, September 4, 2014
Monday, July 16, 2012
और क्या दूँ सिर्फ़ चंद नगमोँ के सिवा.....!
Copyright : Tejaswini hegde |
वो काजल से ही तेरी नज़र उतारुँ मैं
मुस्कुराहट जो छुपाये वो मेरे गम
तेरे पास आनेसे पेहेले हवामे गुल होजाये
और क्या दूँ चंद नगमोँ के सिवा.....!
साथि तेरा साथ सात जन्मॊँका है
जानती हूँ मैं ये जानता है जंहाँ
लेकिन वक़्त-बेवक़्त के जेहर से बचकर
पार करना है हमें सौ साल, सदियाँ
और क्या दूँ चंद नगमोँ के सिवा.....!
हम ये जानते हैं कि ये हमारी दुनिया
मुक्तसर नहीं जैसे खिले हैं फूल बगिया
तुम अगर साथ हो तो क्या परवा कल की
डोलते हुये नय्या को सहारा है तू सँय्या
और क्या दूँ चंद नगमोँ के सिवा.....!
-तॆजस्विनी
Monday, December 27, 2010
झलख़
Wednesday, August 11, 2010
नासूर
[http://www.thecreativenut.co.uk/] |
तुम मेरे पास नहीं थे तो
कभी कुछ कहने केलिये
मैं तेरे पास नहीं थी
कभी कुछ में ही
सब कुछ कहकर
चुप रही में तो
कभी सब समझकर भी
अन्जान बने रहे तुम भी
यह कैसी पहेली है?! जो
हर दिन हर पल उलझरही है!
हर वक्त यही प्रश्न उठे मन में.... जो
चुपकर चुभरही है बनकर एक नासूर!
-तेजस्विनि
Tuesday, April 13, 2010
पहेली
चाहाथा बहुत न देखे कोई सपना अब
तो इस चाहत ने ही छोडदिया मेरा साथ
कोई तमन्ना ही ना करूँ यह तमन्ना की
तो इस तमन्ना ने भी तोडदिया मेरा आस
क्या पाया क्या खोया यह न जानू मैं
जानू बस इतना कि खोकर कुछ खोया
तो कुछ पाकर खोदिया मैंने.....
मुस्कान की आड में सब दर्द छुपाया तो
दर्द झलकने लगा हर एक मुस्कान में...
छुपाये भी न जाये, बताये भी न जाये, हाये
कैसी पहेली है जो उलझती ही जाये!!!
(year 2002)
-तेजस्विनी
तो इस चाहत ने ही छोडदिया मेरा साथ
कोई तमन्ना ही ना करूँ यह तमन्ना की
तो इस तमन्ना ने भी तोडदिया मेरा आस
क्या पाया क्या खोया यह न जानू मैं
जानू बस इतना कि खोकर कुछ खोया
तो कुछ पाकर खोदिया मैंने.....
मुस्कान की आड में सब दर्द छुपाया तो
दर्द झलकने लगा हर एक मुस्कान में...
छुपाये भी न जाये, बताये भी न जाये, हाये
कैसी पहेली है जो उलझती ही जाये!!!
(year 2002)
-तेजस्विनी
Thursday, March 5, 2009
सपना
एक हसीन शाम थी
जब हमने याद किया
आपको, आपके यादों को
निशा कि नशे की तरह...
होठों पे खीली ती मुस्कान तब
एक कली की तरह
दिशा दिशा में बिखरी हुई थी
साँझ के हसीन किरणें
तारों के साथ हँसरहा था
चाँद बी नीले गगन में
खुलगये हमरे आँखें तो
चुभगयी सूरज की किरणें
न वह शाम था, न वह तारें थी
न आप थे पास, न वह हकीकत थी!!!!
जब हमने याद किया
आपको, आपके यादों को
निशा कि नशे की तरह...
होठों पे खीली ती मुस्कान तब
एक कली की तरह
दिशा दिशा में बिखरी हुई थी
साँझ के हसीन किरणें
तारों के साथ हँसरहा था
चाँद बी नीले गगन में
खुलगये हमरे आँखें तो
चुभगयी सूरज की किरणें
न वह शाम था, न वह तारें थी
न आप थे पास, न वह हकीकत थी!!!!
Saturday, July 26, 2008
कविता
हमें न मालूम था
हमें न मालूम था
यादों को हम भूलकर भी
नहीं मिटा सकते
जब भी भूलना चाहा तो
वह एक भूल हो गयी
हमारे जीवन का एक ओर
हकीकत बन गयी
हमें न मालूम था
हँसाना इतना आसान है
जितना हाँसना मुश्किल
सबको करार बाँटते हुए
खुद ही बेकरार हो गये हम
कुछ पाने की चाहत में
सब कुछ खो दिये हम
हमें न मालूम था
जिन्दगी एक अलग चीज है
जिन्दा रहना अलग बात है
जीतने चले थे सबके दिल को
मगर हार आये खुद हम
अपने ही जिन्दगी को..!!!
हमें न मालूम था
यादों को हम भूलकर भी
नहीं मिटा सकते
जब भी भूलना चाहा तो
वह एक भूल हो गयी
हमारे जीवन का एक ओर
हकीकत बन गयी
हमें न मालूम था
हँसाना इतना आसान है
जितना हाँसना मुश्किल
सबको करार बाँटते हुए
खुद ही बेकरार हो गये हम
कुछ पाने की चाहत में
सब कुछ खो दिये हम
हमें न मालूम था
जिन्दगी एक अलग चीज है
जिन्दा रहना अलग बात है
जीतने चले थे सबके दिल को
मगर हार आये खुद हम
अपने ही जिन्दगी को..!!!
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